Jamshedpur: देश में इस साल के ‘बिग वेडिंग सीजन’ से भारतीय अर्थव्यवस्था को पंख लग जाएंगे। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का दावा है कि इस वर्ष मात्र साठ दिन में यानी नवंबर-दिसंबर में 48 लाख शादियां होने की उम्मीद है। इसके जरिए 5.9 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होगा। अकेले दिल्ली में ही 4.5 लाख शादियों से 1.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। विवाह समारोह में विदेशी सामानों के मुकाबले भारतीय उत्पादों की धूम मचेगी। देशभर के व्यापारी वर्ग ने आगामी शादी के सीजन के लिए अभूतपूर्व व्यापारिक उछाल की तैयारी शुरू कर दी है। शादियों का सीजन 12 नवंबर से शुरू हो रहा है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, कैट के एक अध्ययन के अनुसार, इस शादी के सीजन में देश के रिटेल सेक्टर, जिसमें वस्तुएं और सेवाएं दोनों शामिल हैं, से 5.9 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है। पूरे देश में अनुमानित 48 लाख शादियों के साथ, यह सीजन एक प्रमुख आर्थिक वृद्धि का पायदान साबित होगा। पिछले साल 35 लाख शादियों के साथ कुल व्यापार 4.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा था। इस वर्ष शुभ विवाह तिथियों की संख्या में वृद्धि से व्यापार में उल्लेखनीय उछाल आने की संभावना है। 2023 में 11 के मुकाबले, इस साल 18 शुभ तिथियों के कारण व्यापार में और बढ़त होगी। अकेले दिल्ली में ही इस सीजन में 4.5 लाख शादियों से 1.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है।
कैट की वेद एवं आध्यात्मिक कमेटी के संयोजक आचार्य दुर्गेश तारे के अनुसार, इस वर्ष शादी का सीजन 12 नवंबर, देव उठनी एकादशी से शुरू होकर 16 दिसंबर तक चलेगा। नवंबर में शुभ तिथियां 12, 13, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28, और 29 हैं, जबकि दिसंबर में 4, 5, 9, 10, 11, 14, 15, और 16 हैं। इसके बाद विवाह कार्यक्रम लगभग एक महीने तक रुक जाएंगे और जनवरी 2025 के मध्य से मार्च तक फिर शुरू होंगे। कैट द्वारा 75 प्रमुख शहरों के व्यापारिक संगठनों और विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं से जुड़े व्यापारी एवं व्यापारी संगठनों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। उपभोक्ता अब भारतीय वस्तुओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान को मजबूती मिल रही है। विदेशी सामान की तुलना में भारतीय उत्पादों की मांग में भारी वृद्धि देखी जा रही है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि शादी के खर्च का पैमाना कुछ इस प्रकार है। जैसे 10 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिनमें प्रति शादी 3 लाख रुपये खर्च होंगे। 10 लाख शादियां ऐसी हैं, जिनमें प्रति शादी 6 लाख रुपये खर्च होंगे। 10 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिनमें प्रति शादी 10 लाख रुपये खर्च किए जा सकते हैं। 10 लाख शादियां ऐसी भी होंगी, जिनमें प्रति शादी 15 लाख रुपये खर्च होंगे। 7 लाख शादियां ऐसी हैं, जिनमें प्रति शादी 25 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। 50,000 शादियां ऐसी हैं, जिनमें प्रति शादी 50 लाख रुपये खर्च होंगे। इनके अलावा 50,000 शादियां ऐसी रहेंगी, जिनमें प्रति शादी 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक का खर्च हो सकता है। कैट के राष्ट्रीय मंत्री सुमित अग्रवाल ने कहा, ये अनुमान वास्तव में वास्तविकता से भी कम माने जाते हैं। शादी के सीजन के दौरान होने वाली व्यापक आर्थिक गतिविधियों को दर्शाते हैं। शुभ तिथियों के अलावा भी अन्य दिनों में बड़े पैमाने पर शादियां होती हैं।
कैट के अनुसार, शादी के खर्च आमतौर पर सामान और सेवाओं के बीच विभाजित होते हैं। सामान क्षेत्र में जैसे वस्त्र, साड़ियां, लहंगे और दूसरे परिधान पर (10%), आभूषण (15%), इलेक्ट्रॉनिक्स, विद्युत उपकरण, और उपभोक्ता टिकाऊ सामान पर (5%), सूखे मेवे, मिठाइयां, और नमकीन (5%), किराने का सामान और सब्जियां (5%), उपहार वस्तुएं (4%) व अन्य सामान पर 6% खर्च होगा। बैंक्वेट हॉल, होटल और शादी के अन्य स्थल पर (5%), इवेंट मैनेजमेंट (5%), टेंट डेकोरेशन (12%), खानपान सेवाएं (10%), फूलों की सजावट (4%), परिवहन और कैब सेवाएं (3%), फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी (2%), ऑर्केस्ट्रा और बैंड (3%), लाइट और साउंड (3%) व अन्य सेवाओं पर (3%) खर्च का अनुमान है।
कैट पदाधिकारियों के मुताबिक, इस साल एक नया ट्रेंड शादी के खर्च में शामिल हो रहा है। ये सोशल मीडिया सेवाओं पर बढ़ता हुआ खर्च है। कैट के राष्ट्रीय चेयरमैन ब्रजमोहन अग्रवाल ने कहा, शादी के इस चरण के बाद, क्रिसमस और नए साल के उत्सवों के साथ व्यापार में रफ्तार बनी रहेगी। इसके बाद 16 जनवरी, मकर संक्रांति से शादी के अगले दौर की शुरुआत होगी। प्रवीण खंडेलवाल ने जोर देकर कहा कि यह विस्तारित शादी का सीजन और त्योहारों की बिक्री मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व बढ़ावा देंगे। इससे देशभर के कई उद्योग एवं व्यापार लाभान्वित होंगे। अनेक लोगों को रोजगार मिलेगा। भारतीय उद्योग अपनी उत्पादन क्षमता एवं व्यापार में वृद्धि करने की ओर कदम बढ़ाएंगे।