पूरा मामला साहिबगंज जिला के बोरियो प्रखंड अंतर्गत बांझी बाजार का है। बांझी बाजार निवासी कन्हाई पंडित की शादी वर्ष 2009 में बोरियो प्रखंड के ही तेलो, बथान टोली की कल्पना कुमारी से हुई थी। शादी के बाद कल्पना ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की। कन्हाई का कहना है कि उसने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए पत्नी की पढ़ाई जारी रखने में असमर्थता जताई लेकिन पत्नी की जिद के आगे मान गया। कन्हाई ने पत्नी की पढ़ाई के लिए बोरियो में ही मकान बनवाया और वहीं पत्नी का दाखिला शिबू सोरेन जनजातीय महाविद्यालय में करा दिया। यहां कल्पना ने 5 साल तक पढ़ाई की और फिर नर्सिंग ट्रेनिंग लेने की इच्छा जाहिर की। कन्हाई ने कर्ज लेकर जमशेदपुर स्थित एक नर्सिंग कॉलेज में कल्पना का दाखिला करा दिया। कन्हाई का दावा है कि वो खुद पत्नी के साथ जमशेदपुर स्थित नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर में गया और 2 लाख रुपये नगद फीस का भुगतान किया। कल्पना ने 2 साल यहां एएनएम की ट्रेनिंग ली।
शख्स का दावा है कि उसने अपनी पत्नी की पढ़ाई में तकरीबन 4.5 लाख रुपये खर्च किए और जब वह नौकरी करने लगी तो उसे अपनाने से इनकार कर दिया। शख्स का यह भी कहना है कि उसकी पत्नी 14 अप्रैल 2023 से ही लापता है। पत्नी के साथ उनका 10 साल का बेटा भी है। शख्स ने अब जिला अदालत, डीसी और पुलिस अधीक्षक के पास आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। शख्स का कहना है कि उसने पत्नी को पढ़ाने के लिए गुजरात में मजदूरी की। ट्रैक्टर चलाया। कन्हाई का आरोप है कि पत्नी 28 हजार रुपये और ज्वेलरी लेकर भी लेकर भाग गई है। उसने वरीय पदाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई।
कन्हाई का कहना है कि 2 लाख रुपये फीस देने के अलावा उसने 2 साल में कल्पना की पढ़ाई, रेंट, कॉपी-किताब और अन्य जरूरतों पर 2.5 लाख रुपये खर्च किए। इसकी वजह से वह कर्ज में डूब गया। जब पत्नी ट्रेनिंग पूरी कर वापस लौटी तो साहिबगंज में ही जुमावती नर्सिंग होम में बतौर नर्स ज्वॉइन किया। इधर, कन्हाई ट्रैक्टर चलाकर और मजदूरी करके कर्ज चुकाता रहा। इस बीच एक दिन पत्नी ने उससे कहा कि ऐसे रोजाना 200- 250 रुपये की कमाई में कर्ज कैसे उतरेगा। उसे कहीं बाहर जाकर कमाना चाहिए। कन्हाई ने कहा कि मुझे भी पत्नी की बात सही लगी क्योंकि वह पढ़ी-लिखी थी। मुझे लगा कि वह परिवार के लिए अच्छा ही सोचेगी। इसलिए मैं कमाने के लिए गुजरात के वापी चला गया।
साल 2019 के आखिर में कन्हाई पंडित गुजरात गया और इधर 2020 की शुरुआत में कोरोना महामारी ने भारत में दस्तक दी। मार्च 2020 में पूरे भारत में लॉकडाउन लग गया। कन्हाई घर लौटना चाहता था लेकिन पत्नी ने यह कहकर मना किया कि यहां क्या काम करोगे, वहीं रहो। कन्हाई तकरीबन रोते हुए कहता है कि वह लॉकडाउन में पुलिस की मार – गाली खाकर काम पर जाता रहा। कभी नमक-रोटी तो कभी केवल चावल खाकर रहा और हर महीने पैसे भेजता रहा। परिवार की जरूरतें पूरी करने के अलावा कर्जा भी चुकाता रहा। 2021 में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भी कन्हाई गुजरात में ही था। इसी बीच एक दिन उसकी पत्नी ने बताया कि घर में आग लग गई है लेकिन सामान बच गया। इसमें जमीन के कागजात, अन्य शैक्षणिक दस्तावेज, बेड, टेबल-कुर्सी, कपड़े और बक्सा शामिल है। पत्नी ने कहा कि उसने सारा सामान अपने मायके में रखवा दिया है। हालांकि, कन्हाई का आरोप है कि उसकी पत्नी ने खुद अपने घर में आग लगाई थी।
कन्हाई मार्च 2023 में होली से तकरीबन 4 दिन पहले घर लौटा। कन्हाई का आरोप है कि घर वापस आने पर उसने गौर किया कि पत्नी का व्यवहार उसके प्रति काफी रूखा है। वह दिन और रात ड्यूटी के नाम पर अक्सर घर के बाहर ही रहने लगी। पति-पत्नी जैसा संबंध नहीं रहा। कन्हाई का आरोप है कि मैं पास जाता तो वह झिड़क देती । होली भी पत्नी ने साथ नहीं मनाई। धीरे-धीरे उसे संदेह होने लगा कि उसकी पत्नी अब उससे रिश्ता नहीं रखना चाहती। कन्हाई का कहना है कि इसी बीच पत्नी 10 साल के बेटे को लेकर मायके चली गई और आखिरी बार 14 अप्रैल 2023 को बात हुई थी। इसके बाद से कल्पना का फोन बंद है। पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और थाना प्रभारी ने एक अन्य नंबर पर भी ट्राई किया लेकिन बात नहीं हो पाई। कन्हाई कहते हैं कि मेरा मानसिक और आर्थिक शोषण किया गया। मैं कर्ज में डूब गया हूं और लेनदार तकादा करते हैं
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