Ranchi Municipal Corporation: रांची नगर निगम ने गेल इंडिया के साथ एक डील किया है जिसमें गीले कचरे से गैस का उत्पादन होगा। वहीं इसके लिए 1.5 टीपी का प्लांट भी झिरी डंपिंग यार्ड में चालू किया गया है। लेकिन रांची नगर निगम प्लांट के लिए ज्यादा से ज्यादा गीला कचरा उपलब्ध कराने में असमर्थ है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि निगम गैस प्लांट में मात्र 35 टन ही कचरा दे रहा है। जिससे गैस का उत्पादन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। बता दें कि झिरी डंपिंग यार्ड में 1.5 टीपी के दो प्लांट बनेगा। जिसमें एक प्लांट सक्रिय है जबकि दूसरे का निर्माण कार्य जारी है।
नगर निगम क्षेत्र से 6 हजार मीट्रिक टन कचरा हर दिन निकलता है। जिसके कलेक्शन के लिए एजेंसियों को रखा गया है। लेकिन इन एजेंसियों काअपना काम ठीक से नहीं कर पाने के वजह से रांची नगर निगम की छवि खराब हो रही है। हालांकि नगर निगम के अधिकारियों ने एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपने कार्यों में सुधार लाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन करने वाली एजेंसी घरों से गीला और सूखा कचरा अलग अलग नहीं उठा रही है। जबकि निगम की ओर से भी शहर के लोगों से कचरा अलग अलग देने की अपील की गई है। फिर भी एजेंसी घरों से मिक्स कचरा उठा रही है। वहीं कुछ लोगों के सूखा गीला कचरा अलग रखने पर भी एजेंसी के स्टाफ दोनों को एक ही साथ उठाकर ले जा रहे हैं। इस वजह से भी गीला कचरा प्लांट के लिए पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है।
झिरी स्थित डंपिंग यार्ड में बने गैस प्लांट के लिए हर दिन 1.5 टन गीला कचरा चाहिए। तभी प्रॉपर तरीके से गैस का उत्पादन हो सकेगा। जिसकी सप्लाई पाइपलाइन से घरों में करने की योजना है। लेकिन जिस तरह से एजेंसी गीले कचरे की सप्लाई कर रही है उससे गैस का उत्पादन तो प्रभावित हो ही रहा है, वहीं घरों में सप्लाई के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। 150 मीट्रिक टन कचरे से हर दिन 5000 किलो सीएनजी तैयार करने के अलावा प्लांट से हर दिन 25 टन ऑर्गेनिक खाद भी तैयार करने की योजना थी। वहीं एक प्लांट की लागत लगभग 26 करोड़ रुपये है।