भारत जल्द एक बिलियन टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। यानी हर साल काफी मात्रा ओवर बर्डन भी निकलेगा। अभी देश के कोयला क्षेत्र में ओवर बर्डन के बड़े-बड़े पहाड़ बने हुए हैं। 2020-21 में ओवर बर्डन, कोयला उत्पादन और स्ट्रीपिंग रेशियो से संबंधित आंकड़े (ओवर बर्डन मिलियन क्यूबिक मीटर में, कोयला उत्पादन मिलियन टन में) इस प्रकार हैं।
झारखंड के धनबाद में खुली खदानों में कोयले के खनन से निकलने वाले ओवर बर्डन को अब तक बेकार समझा जाता रहा है। लेकिन अब ओवर बर्डन के सैंपल की जांच से पता चला है कि इसमें क्वार्ट्ज, केओलिनाइट, जिप्सम, मेलानटेराइट, रोजेनाइट, हेमेटाइट और पाइराइट जैसे बेशकीमती मिनरल्स मौजूद हैं। सिंफर की ओर से कोयला मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है कि ओवर बर्डन की जांच कर इन खनिजों को निकालने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए।
यदि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ तो देश को काफी फायदा होगा। क्योंकि ये खनिज देश में फिलहाल नहीं हैं या बहुत ही कम मात्रा में हैं। यह जानकारी सिंफर की ओर से दी गई है। सिंफर के निदेशक डॉ. एके मिश्र ने भी कहा कि इस दिशा में जल्द काम शुरू होने की संभावना है। शुरुआती जांच से मिले संकेतों के अनुसार भारत में उपलब्ध कोयला खदानों के ओवर बर्डन में विभिन्न क्वार्ट्ज, केओलिनाइट, जिप्सम, मेलानटेराइट, रोजेनाइट, हेमेटाइट और पाइराइट जैसे खनिजों की पहचान की गई है।
इतना ही नहीं ओवर बर्डन के नमूनों में कई दुर्लभ रेयर अर्थ और एट्रियम मिलने के भी संकेत हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के कोयला ओवर बर्डन में भी इन खनिजों की उपलब्ता है। भारत इन बेशकीमती खनिजों के लिए अभी पूरी तरह आयात पर निर्भर है। यदि घरेलू स्तर पर ये खनिज उपलब्ध होते हैं तो काफी विदेशी मुद्रा की बचत होगी। वैसे देश में आठ कोयला बहुल राज्यों मसलन झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना आदि राज्य हैं जहां कोयला बहुतायत में है
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