जमशेदपुर: लौहनगरी जमशेदपुर की साहित्यिक संस्था “दबिस्तान-ए-जमशेदपुर” ने उर्दू के महान शायर शायक मुजफ्फरपुरी की याद में उनकी 16वीं बरसी पर महफिले मुशायरा आयोजित की जिस की अध्यक्षता प्रो अहमद बद्र ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ हसन इमाम मल्लिक (स्पोर्ट्स मैनेजर, टाटा स्टील तथा उर्दू भवन के अध्यक्ष) उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शायक मुजफ्फरपुरी का नाम भुलाया नहीं जा सकता। वे इस शहर की उर्दू शायरी के माहौल के सबसे बड़े संस्थापक थे। साथ ही साथ उन्होंने यह भी ऐलान किया कि उर्दू भवन का मुख्य सभागार शायक मुजफ्फरपुरी के नाम से होगा।

कार्यक्रम के प्रारंभ में फरहान खान फरहान ने उपस्थित शायरों तथा साहित्यकारों का स्वागत किया और शायक मुजफ्फरपुरी का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि शायक मुजफ्फरपुरी एक उस्ताद शायर थे। उन्होंने शायरी की चार किताबें लिखीं और अनगिनत शिष्यों को शायरी के हुनर सिखाए।
इस मुशायरे में जमील मजहर, अनवर अदीब, बद्रे आलम खालिश, गौहर अजीज, रिजवान औरंगाबादी, खुर्शीद अजहर, जीडी अहमर, असर भागलपुरी, सद्दाम गानी, सफीउल्लाह सफी, फरहान खान फरहान, शोएब अख्तर, सफदर हारून, सैफ अली सैफ, सरफराज शाद तथा वालीउल्लाह वली ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। अंत में प्रो अहमद बद्र ने अध्यक्षीय विचार प्रस्तुत किए। मुशायरे का संचालन शायर गौहर अजीज ने किया। सभा में डॉ एस एम यहिया इब्राहिम, डॉ मोहम्मद मोइज अशरफ, मौलाना अब्दुल्लाह कासमी तथा कहानीकार अख्तर आजाद, डा शहबाज अंसारी, साजिद परवेज, जूबीउज्जमा, जीशान सल्फी के अलावा शहर के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने उपस्थित होकर सभा का सम्मान बढ़ाया।
