Lease Renewal and Sublease: टाटा स्टील के लीज नवीनीकरण और सबलीज का मामला एक बार फिर से जोर पकड़ने लगा है। झारखंड मूलवासी अधिकार मंच की ओर से गुरुवार को जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना- प्रदर्शन करते हुए 1908 और 1937 के खतियान को मान्यता देते हुए 1996 के सर्वे खतियान को रद्द करने की मांग की गई।
इस संबंध में जानकारी देते हुए संघ के मुख्य संयोजक हरमोहन महतो ने बताया कि 1996 में तत्कालीन डीसी गोरेलाल यादव ने भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन करके 1908 एवं 1937 के खतियान धारियों का सीएनटी एक्ट का जमीन पांचवी अनुसूची क्षेत्र होने के बावजूद राज्यपाल के अनुमति, रैयतों की सहमति, अधिग्रहण संबंधी नोटिस दिए बगैर, भूमि अधिग्रहण हेतु अधिसूचना की घोषणा किए बिना अधिसूचना जारी की थी।
जबकि अनुसूचित क्षेत्र या आदिवासी क्षेत्र में ग्राम सभा की अनुमति जरुरी है। उन्होंने बताया कि टाटा कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा सरकार ने गलत तरीके से लीज नवीनीकरण की सहमति दी थी।

उन्होंने वर्तमान सरकार से 2005 के लीज नवीनीकरण की समीक्षा करने एवं तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में दिए गए सब लीज मामले की समीक्षा करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि उसी का फायदा उठाकर शहर में आदिवासी मूल वासियों के खाली पड़े जमीनों पर मंदिर, मॉल, स्कूल, धार्मिक स्थल, पार्क, सामुदायिक भवन आदि बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड में भू सुधार के तहत कोल्हान में मूल रैयत, विस्थापित प्रभावित लोगों का सर्वे के बिना 86 बस्तियों को मलिकाना हक एवं लीज नवीनीकरण स्थगित करने से पहले रैयतों की आम सहमति एवं प्रस्तावित जमशेदपुर औद्योगिक क्षेत्र को खारिज करते हुए लीज नवीकरण कमेटी में रैयतों का पक्ष रखने के लिए रैयतों को प्रतिनिधि के रूप में शामिल करें अन्यथा 3 मार्च को जुबली पार्क गेट पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने डिमना लेक के विस्थापितों को भी मुआवजा देने की मांग की है।