Tribal Neglect: जमशेदपुर के नजदीक बोड़ाम प्रखंड के बेलडीह पंचायत अंतर्गत पाकोतोड़ा टोला में सबर जनजाति का जीवन आज भी बदहाली और उपेक्षा का प्रतीक बना हुआ है। यह क्षेत्र जुगसलाई विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां रहने वाली सबर जनजाति, जिसे देश की विलुप्तप्राय जनजातियों में शामिल किया गया है, लगभग दस परिवारों के साथ गंभीर अभावों से जूझ रही है।
टोले की तस्वीर विकास के सरकारी दावों पर सवाल खड़े करती है। यहां न पक्के मकान हैं, न ही शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था। महिलाएं और बच्चे जंगलों पर निर्भर होकर जीवन बिताने को मजबूर हैं। बच्चे स्कूल की बजाय खेतों और पहाड़ियों पर दिन गुजार रहे हैं—जहां बचपन का हक शिक्षा के बजाय संघर्ष में बीत रहा है।
इस क्षेत्र से पिछले दो विधानसभा चुनावों में झामुमो के मंगल कालिंदी को जीत मिली, जबकि जमशेदपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व तीन बार बीजेपी सांसद विद्युत वरण महतो कर चुके हैं। बावजूद इसके, पाकोतोड़ा टोला में सबर जनजाति की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है।स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाएगा, तो यह दुर्लभ जनजाति धीरे-धीरे अस्तित्व खो सकती है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द ठोस कार्ययोजना बनाकर सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।उनका कहना है कि यह सिर्फ एक टोला नहीं बल्कि पूरे राज्य की आदिवासी विकास नीति और व्यवस्था की बड़ी विफलता का दर्पण है।यदि इस दिशा में तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में इसका गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव पड़ सकता है—जिसके लिए सरकार और समाज दोनों जिम्मेदार होंगे।


