Seraikela Anti-Opium Drive: अवैध अफीम की खेती पर पूर्ण प्रतिबंध की दिशा में सरायकेला जिला पुलिस ने कमर कस ली है। पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत के नेतृत्व में जिलेभर में 8 सितंबर से 22 सितंबर तक प्री-कल्टीवेशन ड्राइव चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य अफीम की खेती की संभावनाओं को जड़ से समाप्त करना है।
इसी क्रम में गुरुवार को सरायकेला टाउन हॉल में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रांची से आई एनडीपीएस टीम और जिला के सभी प्रमुख पुलिस पदाधिकारियों ने भाग लिया। बड़ी संख्या में किसान और रैयत भी मौजूद रहे।
ग्रामीणों को ली गई शपथ, मिला कानूनी ज्ञान
कार्यक्रम में ग्रामीणों को अवैध अफीम की खेती से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। एनडीपीएस अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई और अपराधियों को मिलने वाली सजाएं भी स्पष्ट की गईं। इस दौरान ग्रामीणों को अफीम की खेती न करने की शपथ दिलाई गई, जिसमें उन्होंने पारंपरिक और वैध फसलों की खेती को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।
पिछले वर्ष 650 एकड़ में की गई थी कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक मुकेश लुणायत ने बताया कि पिछले वर्ष जिला पुलिस ने लगभग 650 एकड़ में फैलाए गए अवैध अफीम की खेती को नष्ट किया था और करीब दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। उन्होंने कहा कि इस बार संबंधित थाना क्षेत्रों में पहले से ही जागरूकता और निगरानी का कार्य जारी है, ताकि एक भी किसान अवैध फसल की ओर रुख न करे।
धान की फसल से मिली सकारात्मकता, लेकिन सतर्कता बरकरार
पुलिस की रणनीति और पिछले साल की कार्रवाई का असर इस बार साफ दिख रहा है। जिन खेतों में पहले अफीम की फसल लहलहाती थी, वहां अब धान की फसल नजर आ रही है। बावजूद इसके पुलिस इस बार भी कोई ढील देने के मूड में नहीं है।
एसपी लुणायत ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि लोगों को विकल्प देना और जागरूक करना है। सरकार की प्राथमिकता यह है कि किसान पारंपरिक खेती की ओर लौटें और कानूनी उलझनों से बचें।”
अधिकारियों की मौजूदगी में कार्यक्रम, हर स्तर पर निगरानी
इस अभियान में जिला मुख्यालय के साथ डीएसपी प्रदीप उरांव, चांडिल एसडीपीओ अरविंद बिन्हा, सभी थाना प्रभारी और जांच अधिकारी भी शामिल हैं। कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा वीडियो प्रेजेंटेशन, केस स्टडी और वैकल्पिक खेती के मॉडल भी साझा किए गए।
22 सितंबर तक यह ड्राइव जिले के संवेदनशील गांवों और पिछली बार चिह्नित क्षेत्रों में संचालित की जा रही है, जहां अफीम की खेती की आशंका रहती है।


