Ranchi jail: वायरल वीडियो से मचा हड़कंप‚ जेल की सुरक्षा पर उठे सवाल

Ranchi jail: राजधानी रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से एक हैरान करने वाला वीडियो वायरल होने के बाद जेल प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई है। 17 सेकंड के इस वीडियो में दो कैदी भोजपुरी गीत पर डांस करते दिखाई दे रहे हैं। मामला सामने आते ही प्रशासन ने जांच

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Ranchi jail: राजधानी रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से एक हैरान करने वाला वीडियो वायरल होने के बाद जेल प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई है। 17 सेकंड के इस वीडियो में दो कैदी भोजपुरी गीत पर डांस करते दिखाई दे रहे हैं। मामला सामने आते ही प्रशासन ने जांच शुरू की और सुरक्षा में चूक को गंभीर मानते हुए दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

जांच के दौरान पता चला कि वीडियो में नजर आने वाले कैदी कोई सामान्य बंदी नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक घोटालों में आरोपी हैं। पहला आरोपी विधु गुप्ता, जो शराब घोटाले का मुख्य आरोपी बताया जाता है, जबकि दूसरा विक्की भालोटिया, जो जीएसटी घोटाले में पकड़ा गया था। दोनों जिस विशेष हॉल में डांस करते दिखे, वह वह क्षेत्र है जहां सामान्य बंदियों की एंट्री प्रतिबंधित रहती है।

वीडियो वायरल होते ही जेल प्रशासन ने आंतरिक जांच तेज की। जांच में सुरक्षा प्रबंधन में गंभीर लापरवाही सामने आने पर सहायक जेलर देवनाथ राम और जमादार विनोद कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। हालांकि कार्रवाई के बाद भी यह सवाल अनुत्तरित है कि जेल परिसर में मोबाइल फोन और म्यूजिक सिस्टम जैसी चीज़ें कैसे पहुंचीं।

यह कोई पहली घटना नहीं है जब झारखंड की जेलों की सुरक्षा प्रणाली कटघरे में खड़ी हुई हो। इससे पहले भी कई बार कैदियों के पास से मोबाइल फोन, नकदी और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हो चुके हैं। कई मामलों में यह भी सामने आया है कि कुछ कैदी जेल की चारदीवारी के अंदर से ही अपने गिरोह का संचालन करते पाए गए, जिससे जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

वायरल वीडियो को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि “झारखंड की जेलें वीआईपी कैदियों की ऐशगाह बन चुकी हैं।” वहीं सरकार ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए हैं और संकेत दिया है कि दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

वायरल वीडियो को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि “झारखंड की जेलें वीआईपी कैदियों की ऐशगाह बन चुकी हैं।” वहीं सरकार ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए हैं और संकेत दिया है कि दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने कई महत्वपूर्ण सवालों को जन्म दिया है—जेल में मोबाइल और म्यूजिक सिस्टम जैसी वस्तुएं आखिर पहुंचती कैसे हैं?क्या जेल प्रशासन के ही कुछ अधिकारी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं?और सबसे बड़ा सवाल—क्या ये जेलें सुधार गृह हैं या फिर प्रभावशाली अपराधियों के सुरक्षित ‘आरामगाह’ में बदलती जा रही हैं?

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