Lost Son Returns: फिल्मी अंदाज में 33 साल बाद घर लौटा सुजीत‚ पिता भी नहीं पहचान सके

Lost Son Returns: मोकामा में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 33 साल पहले अपने घर और माता-पिता से रूठकर निकला एक बेटा अचानक वापस लौटा, तो उसके पिता भी उसे पहचान नहीं पाए। यह कहानी है हाथीदह गांव के सुजीत कुमार

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Lost Son Returns: मोकामा में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 33 साल पहले अपने घर और माता-पिता से रूठकर निकला एक बेटा अचानक वापस लौटा, तो उसके पिता भी उसे पहचान नहीं पाए। यह कहानी है हाथीदह गांव के सुजीत कुमार की, जो बचपन की नाराज़गी के कारण अपने परिवार से बिछड़ गए थे और तीन दशक बाद अपनी जड़ों की ओर लौटे।

सुजीत कुमार ने सिर्फ 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। माता-पिता की डांट से नाराज़ होकर उन्होंने 15 अगस्त 1992 को स्कूल में झंडा फहराने के बाद एक ट्रक पर चढ़कर घर से निकलने का फैसला किया। वे सीधे देवघर पहुंचे और वहां से कोलकाता, दिल्ली समेत कई शहरों में भटकते रहे।

कई साल की भटकन के बाद सुजीत को देहरादून में एक परिवार मिला, जिसने उन्हें अपना लिया। उस परिवार ने उन्हें बेटे की तरह पाला और उन्हें कभी मां-बाप की कमी महसूस नहीं होने दी। यहीं उनकी नई जिंदगी शुरू हुई—उन्होंने शादी की और तीन बच्चों के साथ बस गए।

33 साल बाद सुजीत बेगूसराय में अपने एक मित्र की शादी में शामिल होने आए। शादी के रास्ते में जब उन्होंने अपना पैतृक घर देखा, तो मन में माता-पिता से मिलने की इच्छा जागी। वे खुद को एक अधिकारी बताते हुए घर में प्रवेश किए और अपने पिता से मिले, लेकिन पिता उन्हें पहचान नहीं पाए। निराश होकर वे वापिस शादी में चले गए।

सुजीत की पत्नी ने अपने सास-ससुर से मिलने की इच्छा जताई और सुजीत को दोबारा घर ले आईं। इस बार उन्होंने पिता को अपनी असली पहचान बताई, तो पूरा परिवार अवाक रह गया। पिता ने बताया कि बेटे के लापता होने के बाद कई महीनों तक खोजबीन की गई, लेकिन कोई जानकारी न मिलने पर उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी।अचानक अपने बेटे और उसके परिवार को सामने पाकर पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सुजीत ने भी वादा किया कि अब वे हर साल हाथीदह आकर परिवार से जरूर मिलेंगे।

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