Incab Workers Protest: न्यायालय द्वारा वेदांता को जिम्मेदारी देने पर इनकैब कर्मियों में नाराजगी‚ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का फैसला

Incab Workers Protest: जमशेदपुर की विश्व-स्तरीय केबल निर्माण कंपनी इनकैब इंडस्ट्रीज, जो लगभग 25 वर्षों से बंद पड़ी है, एक बार फिर विवादों में है। एनसीएलटी (NCLT) द्वारा वेदांता को प्लांट संचालन की जिम्मेदारी सौंपे जाने के आदेश के खिलाफ कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है।एनसीएलटी में

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Incab Workers Protest: जमशेदपुर की विश्व-स्तरीय केबल निर्माण कंपनी इनकैब इंडस्ट्रीज, जो लगभग 25 वर्षों से बंद पड़ी है, एक बार फिर विवादों में है। एनसीएलटी (NCLT) द्वारा वेदांता को प्लांट संचालन की जिम्मेदारी सौंपे जाने के आदेश के खिलाफ कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है।एनसीएलटी में चल रहे मामले में टाटा स्टील और अन्य बड़ी कंपनियों ने भी इनकैब को पुनर्जीवित करने में रुचि दिखाई थी। कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि कोर्ट किसी ऐसे पक्ष को जिम्मेदारी देगा जिससे उनका बकाया और भविष्य सुरक्षित हो सके। लेकिन अदालत ने वेदांता के पक्ष में आदेश जारी किया।

:अदालत के आदेश में कर्मचारियों को उनके बकाया वेतन का सिर्फ छह प्रतिशत भुगतान करने की बात कही गई, जिसने कर्मचारियों में भारी असंतोष पैदा कर दिया। मजदूर नेताओं का कहना है कि यह फैसला न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि उन परिवारों के साथ मज़ाक है जो पिछले दो दशक से कंपनी खुलने की उम्मीद में जी रहे हैं।

फैसले के विरोध में केबल संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारियों और मजदूर नेताओं की बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि यह आदेश मजदूरों के हितों के विपरीत है और इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ही उनका अंतिम रास्ता है।बैठक में कर्मचारी कल्याण शाही और समाजसेवी शिवशंकर सिंह ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि मजदूरों ने जीवन भर कंपनी को खड़ा करने में मेहनत की है और अब उनके हकों को छीना नहीं जा सकता।

इनकैब कंपनी बंद होने के बाद से कर्मचारियों की संख्या काफी कम हो गई है, लेकिन कई कर्मी अब भी कंपनी के क्वार्टरों में रह रहे हैं। नियमित कर्मचारी वर्षों से कंपनी खुलने की प्रतीक्षा में गुज़ारा चला रहे हैं।आर्थिक रूप से बदहाल ये परिवार किसी तरह अपनी आजीविका चला रहे हैं। ऐसे में जब अदालत का फैसला उनके पक्ष में नहीं आया, तो वे अब शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए मजबूर हैं।

कर्मचारियों ने साफ कहा है कि वेदांता जैसी कंपनी को प्लांट सौंपने के फैसले को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मजदूरों का कहना है कि जब तक उनके बकाया, सुरक्षा और भविष्य की गारंटी नहीं दी जाती, वे संघर्ष जारी रखेंगे। जल्द ही कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जाएगी।

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