Dalma Protest: चांडिल प्रखंड के दलमा तराई क्षेत्र स्थित माकुलाकोचा हिरण पार्क गेस्ट हाउस में शनिवार को झारखंड मुक्ति वाहिनी की एक अहम बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता संगठन के संयोजक चंदन सिंह ने की, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी और ग्रामीण शामिल हुए।
ग्रामीणों ने खुलकर रखीं समस्याएँ
बैठक में ग्रामीणों ने क्षेत्रीय समस्याओं को मजबूती से उठाया। जर्जर सड़कों, पेयजल संकट, सोलर लाइट की कमी और बरसात के दिनों में कीचड़ भरे रास्तों से गर्भवती महिलाओं व बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाने में हो रही दिक्कतों पर नाराज़गी जताई गई। साथ ही, हाथियों द्वारा फसल बर्बाद करने के बावजूद मुआवजा नहीं मिलने पर भी ग्रामीणों ने विरोध दर्ज किया।
विकास और मुआवजा पर सवाल
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि 1982–83 में चांडिल डैम परियोजना के लिए मिले 33 करोड़ रुपये का अब तक ठोस उपयोग नहीं हुआ। उनका कहना था कि पर्यटन से होने वाली आय का भी लाभ स्थानीय गांवों तक नहीं पहुँच रहा है।
वन विभाग पर गंभीर आरोप
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि जंगलों में आग बुझाने की जिम्मेदारी ग्रामीणों पर डाल दी जाती है, लेकिन इसके बदले न तो उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है और न ही समय पर मजदूरी मिलती है। ग्रामीणों ने अवैध पेड़ कटाई और पत्थर खनन को लेकर विभागीय मिलीभगत का आरोप भी लगाया।
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो झारखंड मुक्ति वाहिनी व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
इस बीच दलमा रेंजर दिनेश चंद्र ने कहा कि हर साल सड़क मरम्मत वन विभाग द्वारा की जाती है, लेकिन इस बार भारी बारिश के कारण सड़कें खराब हुई हैं। बरसात खत्म होते ही मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि क्षेत्र में लगातार विकास कार्य हो रहे हैं।
पेड़ कटाई से जुड़े आरोप पर उनका कहना था कि गेस्ट हाउस का निर्माण सरकार के आदेश पर हो रहा है और भविष्य में वहां बिना अनुमति बैठकें आयोजित नहीं करने दी जाएंगी।