Bokaro Cyber Crisis: साइबर अपराध रोकने वाला थाना खुद संकट में‚ संसाधनों की भारी कमी

Bokaro Cyber Crisis: बोकारो में साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए 2024 में स्थापित साइबर थाना इन दिनों खुद ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। ठगी के बढ़ते मामलों के बीच यह थाना अपने बुनियादी ढांचे की समस्याओं में उलझा हुआ है। न तो इसका खुद का

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Bokaro Cyber Crisis: बोकारो में साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए 2024 में स्थापित साइबर थाना इन दिनों खुद ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। ठगी के बढ़ते मामलों के बीच यह थाना अपने बुनियादी ढांचे की समस्याओं में उलझा हुआ है। न तो इसका खुद का भवन है और न ही कैदियों के लिए हाजत। रेड या किसी बड़ी कार्रवाई के लिए यह थाना अन्य स्थानीय थानों पर निर्भर रहता है।

थाने के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 22 महीनों में कुल 57 साइबर ठगी के मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों में कुल 3.62 करोड़ रुपये की ठगी हुई, जबकि अब तक सिर्फ 3.37 लाख रुपये ही वापस कराए जा सके हैं। थाने में डीएसपी, तीन इंस्पेक्टर, सात सब-इंस्पेक्टर और छह आरक्षी तो हैं, लेकिन इनमें से कोई भी साइबर सिक्योरिटी में प्रशिक्षित नहीं है।

थाने के पास केवल एक पुरानी गाड़ी और दो कंप्यूटर हैं। इंटरनेट रिचार्ज तक एसपी कार्यालय से कराया जाता है, और कई बार कर्मियों को अपना मोबाइल डेटा इस्तेमाल करना पड़ता है। इस तकनीकी कमी के कारण जांच और ट्रैकिंग की प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।

साइबर थाना प्रभारी सह हेडक्वार्टर डीएसपी अनिमेष गुप्ता ने बताया कि संसाधनों की कमी को लेकर राज्य मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा, “जवानों को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है, और जल्द तकनीकी विशेषज्ञों की ट्रेनिंग भी कराई जाएगी।”

राज्य में लगातार बढ़ रहे साइबर अपराधों के बीच बोकारो साइबर थाना की यह दुर्दशा गंभीर चिंता का विषय बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक थाने को आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षित स्टाफ से सशक्त नहीं किया जाएगा, तब तक साइबर अपराधियों पर नकेल कसना मुश्किल रहेगा। अपराध से लड़ने से पहले पुलिस तंत्र को खुद तकनीकी रूप से सक्षम बनाना अनिवार्य हो गया है।

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