Bhuinyadih protest: बिना नोटिस तोड़े गए घरों के खिलाफ बस्तीवासी सड़कों पर‚ प्रशासन पर मनमानी का आरोप

Bhuinyadih protest: जमशेदपुर के भुइयाँडीह इलाके में सड़क चौड़ीकरण अभियान के दौरान दर्जनों घरों को अचानक ध्वस्त किए जाने के बाद स्थानीय बस्तीवासियों का आक्रोश लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार देर रात तक लोग इस कार्रवाई के विरोध में सड़कों पर डटे रहे और अपने गुस्से का इज़हार मशाल

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Bhuinyadih protest: जमशेदपुर के भुइयाँडीह इलाके में सड़क चौड़ीकरण अभियान के दौरान दर्जनों घरों को अचानक ध्वस्त किए जाने के बाद स्थानीय बस्तीवासियों का आक्रोश लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार देर रात तक लोग इस कार्रवाई के विरोध में सड़कों पर डटे रहे और अपने गुस्से का इज़हार मशाल जुलूस के माध्यम से किया। घटना में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पूरी प्रक्रिया बिना किसी पूर्व नोटिस या चेतावनी के पूरी की गई, जिससे लोग असहाय और भ्रमित रह गए।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण की कार्रवाई से पहले न तो किसी तरह की सूचना दी और न ही नोटिस की औपचारिकता पूरी की। बस्तीवासियों के मुताबिक, संविधान दिवस जैसे प्रतीकात्मक दिन पर लोगों को बेघर कर देना अत्यंत असंवेदनशील और अमानवीय कदम था। कई प्रभावित परिवारों का आरोप है कि अचानक हुई इस कार्रवाई से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

शनिवार को विरोध और अधिक संगठित रूप में दिखाई दिया, जब भुइयाँडीह पूजा मैदान से जिला मुख्यालय तक एक विशाल रैली निकाली गई। इस रैली का नेतृत्व पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां ने किया। बड़ी संख्या में महिलाएं हाथों में तख्तियां लेकर शामिल हुईं, जिन पर पुनर्वास, सुरक्षा और मानवीय प्रक्रिया की मांग लिखी थी। महिलाओं ने जोर देकर कहा कि गिराए गए घरों का तत्काल मुआवजा और वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करे और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए ठोस व्यवस्था सुनिश्चित करे। लोगों का कहना है कि जब तक सुरक्षित, स्थायी और सम्मानजनक पुनर्वास उपलब्ध नहीं कराया जाता, तब तक उनका आंदोलन चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर मनमाने रवैए का आरोप लगाते हुए कहा कि विकास कार्य महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में जरूरतमंद परिवारों को बेघर करना उचित नहीं ठहराया जा सकता।

लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। नागरिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाना शुरू कर दिया है। वहीं प्रभावित परिवारों की मांग है कि प्रशासन पारदर्शी तरीके से आगे की कार्रवाई करे और सड़क चौड़ीकरण के नाम पर की गई असंगत कार्रवाई की जांच कराई जाए।

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