Jharkhand Alcohol Revenue:झारखंड सरकार ने हाल ही में झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली 2025 को मंजूरी दी है। खास बात यह है कि इस नई नीति में राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि वर्ष 2018 में तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार द्वारा बनाई गई शराब नीति ही सबसे सफल और राज्य व जनहित में थी।
नई नियमावली की रूपरेखा भी उसी 2018 की नीति को आधार बनाकर तैयार की गई है।सरकारी दस्तावेजों में यह उल्लेख है कि 2018 की नीति के लागू होने के बाद राज्य सरकार के राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई थी। वर्ष 2018-19 में जहां शराब से 1082 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, वहीं 2019-20 में यह आंकड़ा दोगुना होकर 2009 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
2020 में सरकार बदलने के बाद दो बार नियमावली बदली गई, लेकिन इन नीतियों से राजस्व में गिरावट देखी गई और कई प्रकार की शिकायतें भी सामने आईं। इनमें लोकप्रिय ब्रांड की अनुपलब्धता, एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री, ऑडिट की अनियमितता और बिक्री की अंडर रिपोर्टिंग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। सरकार ने यह भी माना है कि नए नियमों के कारण लक्ष्य प्राप्ति में दुकानदारों की दिलचस्पी कम हुई और राज्य की छवि को भी नुकसान पहुंचा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नीति स्पष्ट और नेतृत्व मजबूत हो, तो नीति के सकारात्मक परिणाम जल्दी दिखते हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस नई नियमावली को कितनी सख्ती से लागू करती है और राज्य हित में शराब नीति को कितनी पारदर्शिता से संचालित किया जाता है।