Jharkhand: इस साल अपना घर बनाना 15 फीसदी तक महंगा हो गया है। इसकी वजह निर्माण सामग्री- बालू, गिट्टी, ईंट, सीमेंट, छड़ आदि के दाम में 6.5 से 65 फीसदी तक की बढ़ोतरी है। इनके महंगा होने से घर बनाने का खर्च 12 माह में ही 200 रुपये प्रति वर्ग फीट बढ़ गया है। पहले घर निर्माण में जहां 1400 से 1500 रुपये वर्ग फीट खर्च आ रहा था, अब इसी के लिए 1600 से 1700 रुपये प्रति वर्ग फीट खर्च हो रहे हैं। इस एक साल में निर्माण सामग्री की कीमत में हुई बढ़ोतरी की बात करें तो बालू (ट्रैक्टर) के दाम सर्वाधिक 87 फीसदी तक बढ़े हैं। वहीं, गिट्टी के दाम 17 से 40 फीसदी, सीमेंट नौ फीसदी व छड़ की कीमतों में सात फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके अलावा श्रमिकों की मजदूरी में भी 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। इधर, बालू की किल्लत से जहां मनमाने दाम पर इसकी बिक्री हो रही है, वहीं इससे निर्माण कार्यों पर भी असर पड़ रहा है। मिसिर गोंदा में मकान बना रहीं शीतल देवी कहती हैं कि 8 माह पहले निर्माण शुरू किया था, पर तब से बालू की समस्या जस की तस है। ऑर्डर देने के बाद भी समय पर बालू नहीं मिल रहा है। नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस एक साल में सबसे अधिक महंगा बालू हुआ है। एक ट्रैक्टर बालू की कीमत इस दौरान 87 प्रतिशत तक बढ़ गई। जबकि एक टर्बो बालू की कीमत 3.5 हजार रुपए से छह हजार रुपए हो गई है। एक हाइवा बालू पिछले साल के मुकाबले 39 प्रतिशत महंगा हो गया है। पिछले साल यह 18-20 हजार में मिल रहा था, जो आज 25-26 हजार रुपए हो गया है। चिप्स यानी गिट्टी के दाम छह हजार प्रति टर्बो से बढ़कर सात हजार रुपए हो गए हैं। वहीं, एक ट्रैक्टर चिप्स की कीमत पिछले साल 2.5 हजार रुपए थी, जो आज बढ़कर 3.5 हजार रुपए हो गई है। जानकारों का मानना है कि झारखंड में पत्थर खनन पर सख्ती व रोक के कारण गिट्टी के दाम बढ़े हैं। पत्थर खदान का लाइसेंस नहीं मिलने से भी इस उद्योग पर असर पड़ा है।
ईंट के दाम भी पिछले एक साल की तुलना में इस साल 1.5 हजार रुपए तक बढ़ गए हैं। लगभग इतनी ही वृद्धि सीमेंट में भी हुई है। पिछले साल 16.5 हजार रुपए में ढाई हजार पीस ईंट मिल जाती थी। इस साथ यह बढ़कर 18 हजार हो गई है। वहीं, जो सीमेंट पिछले साल 320-330 रुपए प्रति बैग मिल रहा था, वह 350-360 रुपए मिल रहा है। इस एक साल के दौरान छड़ के दामों में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा गया। जो छड़ पिछले साल 61-63 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वह अभी 65-67 रुपये किलो मिल रहा है। इस एक साल के दौरान इसके दाम में 6.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इस बीच इसके भाव 80-85 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गए थे।
आर्किटेक्ट संतोष कहते हैं कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल मकान निर्माण की लागत प्रति वर्ग फीट 250 रुपये बढ़ी है। इसके लिए बालू संकट को प्रमुख वजह बताते हैं। वहीं, कई जगह ब्लास्टिंग आदि पर रोक व लाइसेंस मिलने में परेशानी के कारण चिप्स के दाम भी बढ़े हैं। उनका कहना है कि पुटी, टाइल्स, वायरिंग आदि सामग्री के दाम भी बढ़ गए हैं। इधर, बजट बढ़ने से कई लोगों ने काम रोक दिया है, जबकि कई रुक-रुक कर व दाम देखकर काम करा रहे हैं।
Jamshedpur : गणतंत्र दिवस समारोह की भव्य तैयारी
Jamshedpur : गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी क्रम में...