जानकारी के अनुसार फिलहाल 27 बेहद संवेदनशील इलाकों में फायर फाइटिंग एवं पुनर्वास से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दिए जाने की सूचना है। इस आग को बुझाने और वहां पर कानूनी तौर पर रहने वाले लोगों को विस्थापित करने में कुल 6500 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक ये प्रोजेक्ट 2 चरणों में पूरा होगा। आग बुझाने पर करीब 2 हजार करोड़ रुपये का खर्च होना है। पहले चरण में तीन साल के भीतर प्रमुखता से आग बुझाने का काम किया जाएगा और साथ ही लोगों के लिए घर बनाया जाएगा।
इसके लिए फायर फाइटिंग एवं पुनर्वास योजना को केंद्रीय वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोयला मंत्रालय की तरफ से इस प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च का सिलसिलेवार ब्योरा वित्त समिति को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। झरिया कोयला क्षेत्र में कुल 595 आग प्रभावित क्षेत्र थे जिनमें कुछ प्रभावित क्षेत्र की आग खत्म हो गई है। 556 आग प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास एवं फायर फाइटिंग प्रोजेक्ट चलाने पर एक्सपर्ट कमेटी ने स्वीकृति दी थी। इनमें 81 प्रभावित क्षेत्र में त्वरित कार्रवाई की बात कही गई थी। एक लाख चार हजार से अधिक परिवारों का पुनर्वास होना है। लगभग 32 हजार परिवार रैयत और शेष गैर रैयत हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक पहला चरण 2026 तक चलेगा। इस प्रस्ताव को लेकर कैबिनेट नोट भी तैयार कर लिया गया है। व्यय वित्त समिति से अंतिम मंजूरी के बाद कोयला मंत्रालय इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजेगा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। 2019 के आकंड़ों के हिसाब से इन आग वाली जगहों से एक लाख से ज्यादा लोगों को विस्थापित किया जाना है।
इतने सालों बाद भी लोगों को विस्थापित करने का मामला सरकार के लिए भी चुनौती बना हुआ है। इसी क्रम में नए प्लान में कोयला मंत्रालय इस पूरे इलाके को न केवल आग से मुक्त करना चाहता है बल्कि उसके दायरे में रह रहे परिवारों को विस्थापित करने पर भी ध्यान दे रहा है। कोयलांचल में कई जगहें ऐसी हैं जहां 1916 में पहली बार आग लगी थी। अभी भी इस इलाके में कई जगहें ऐसी हैं जहां की आग बुझ नहीं पाई है
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