Jamshedpur: छत्तीसगढ़ में अच्छी फसल के लिए बैल यानी नंदी की पूजा की जाती है यह पर्व भाद्रपद अमावस्या में मनाया जाता है भगवान शिव माता पार्वती एवं नंदी जी की पूजा की जाती है सुबह होते ही घर की महिलाएं छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती है जैसे चीला, अरसा, सोहारी, चौसेला, ठेठरी,खुरमी, बड़ा भजिया, खीर, गुलगुला।
किसान अपनी गौ माता और बैलों को नहलाते हैं और उनके सींग व खुर में पॉलिश(पेंट) लगाकर सजाते हैं ,और गले में घुंघरू- घंटी या फिर कौड़ी से बने आभूषण पहनाकर पूजा करके आरती उतारते हैं प्रसाद के रूप में गुलगुला, चीला, नारियल चढ़ाया जाता है इस पर्व में मिट्टी या लकड़ी से बने (नंदी )बैल की भी पूजा की जाती है पूजा के उपरांत पूजा में चढ़े प्रसाद को यदि उस परिवार में बेटी है तो उस प्रसाद और मिठाई को लेकर उसके ससुराल भाई या पिताजी तीज के लिए लेवाने जाते हैं पूजा के पश्चात भोजन के समय अपने रिश्तेदारों में करीबियों को सम्मान के साथ आमंत्रित करके एक दूसरे के घर में जाकर भोजन करते हैं छत्तीसगढ़ी समाज में मायके में तीज मनाया जाता है महिला समिति की तरफ से सभी सुहागिन महिलाओं को तीज के उपलक्ष में सुहाग का सामान दिया गया अलता, सिंदूर ,बिंदी ,मेहंदी , बड़े बुजुर्गों को टोवेल भेंट किया गया।
खेल प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ गेड़ी का जुलूस निकलता है यह बाँस से बनाया जाता है उसके ऊपर खड़ा होकर चला जाता है।
तीजा और पोरा के बारे में सभी महिलाएं अपने विचार व्यक्त किए सामूहिक रूप से महिलाओं के बीच सुआ नृत्य हुआ
कार्यक्रम में सहयोग करने वाली महिला सदस्य देवकी साहू ,सरिता साहू ,हेमा साहू, जमुना देवी, रानी,जूगबती,मैंनादेवी, सावित्री, पुष्पा, गौरी,ननेश्वरी, रूपा, बेबी, हर्षा शामिल हुई।
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