आज वट सावित्री व्रत और पूजन है। सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए वट वृक्ष की पुजा अर्चना करेगी। पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी काफी संख्या सुहागिन महिलाएं सुबह से ही बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना में लगी है।वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर मनाया जाता है। इस व्रत में आम लीची, केला,पान, सुपारी का विशेष महत्व दिया गया है। इसके साथ ही घी में आटे से बने बरगद के पत्ते के आकार के पकवान का भोग चढ़ाया जाता है।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत सती सावित्री से जुड़ा है। सावित्री की कथा के अनुसार देवी सावित्री ने पति के प्राणों की रक्षा के लिए विधि के विधान को बदल दिया था। अपने सतीत्व और कठोर तपस्या से सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर विवश कर दिया था। यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाए थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिने वट वृक्ष की पूजा करेंगी उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलेगा। तब से यह मान्यता चली आ रही है सुहागिन महिलाएं पति के दिर्धाय के व्रत करते आ रही है।
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