Govardhan Puja Rituals: गिरिगोवर्धन पूजा‚ भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ी आस्था

Govardhan Puja Rituals: सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के लुपुंगडीह गांव में मंगलवार को गिरिगोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर ग्रामीणों ने भगवान कृष्ण और गिरिगोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की और भक्ति गीतों से पूरे गांव का वातावरण आध्यात्मिक बना

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Govardhan Puja Rituals: सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के लुपुंगडीह गांव में मंगलवार को गिरिगोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर ग्रामीणों ने भगवान कृष्ण और गिरिगोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की और भक्ति गीतों से पूरे गांव का वातावरण आध्यात्मिक बना दिया।

गिरिगोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण ने इस पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा की थी। इसी स्मृति में हर वर्ष दीपावली के अगले दिन यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

लुपुंगडीह गांव में इस पूजा का आयोजन महिलाओं की अगुवाई में हुआ। परंपरागत रूप से महिलाएं लकड़ी की ढेकी से चावल पीसकर गुड़ी तैयार करती हैं, जिसे देशी घी में पकाया जाता है। इसके बाद वे मंदिर में पहुंचकर भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा-अर्चना करती हैं।

पूरे गांव के आंगन रांगोली से सजाए गए। महिलाएं पारंपरिक ‘ओहिर’ गीतों की प्रस्तुति देती हैं और सामूहिक रूप से भक्ति भाव से पर्व मनाती हैं। यह दृश्य न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक बन जाता है।

गौ माता को इस दिन विशेष रूप से सजाया जाता है। उनके माथे पर धान की मड़ लगाई जाती है और विभिन्न रंगों से अलंकरण किया जाता है। शाम को गौ माता की पूजा-अर्चना के साथ उन्हें मिष्ठान खिलाया जाता है। अगले दिन सोहराय पर्व के रूप में भी उत्सव जारी रहता है।

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