Dev Uthani Ekadashi 2025: कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसके बाद सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस वर्ष तिथियों की घट-बढ़ के कारण देवउठनी एकादशी दो दिनों — 1 और 2 नवंबर को मनाई जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, एकादशी तिथि 1 नवंबर की सुबह 9:10 बजे से प्रारंभ होकर 2 नवंबर की सुबह 7:30 बजे तक रहेगी। इस बार ध्रुव, रवि और त्रिपुष्कर योग भी बन रहे हैं, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माने गए हैं।
एकादशी दो दिन पड़ने के कारण व्रत और तुलसी विवाह पर्व की तारीख को लेकर पंचांगों में भिन्नता है। कुछ पंचांगों में 1 नवंबर को एकादशी व्रत व तुलसी विवाह का उल्लेख है, जबकि कुछ में 2 नवंबर को। धार्मिक आस्थावान लोग अपनी परंपरा और स्थानीय रीति के अनुसार व्रत और पूजा का संकल्प लेंगे।
देवउठनी एकादशी पर तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम का विवाह कराने की परंपरा है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया पूजा-पाठ और दान वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करता है। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, इसलिए तुलसी पूजन से घर में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
तुलसी विवाह के लिए चौकी पर लाल आसन बिछाकर तुलसी का पौधा और भगवान शालीग्राम की मूर्ति स्थापित की जाती है। गन्ने से मंडप बनाकर कलश की स्थापना की जाती है। तुलसी को लाल चुनरी, चूड़ी और बिंदी अर्पित की जाती है। इसके बाद दीपक जलाकर आरती की जाती है और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” तथा “ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्” मंत्रों का जप किया जाता है। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी भूलों के लिए क्षमा मांगी जाती है।


