लगभग 138 करोड़ रुपए के इस घोटाले में 26 जून को सीबीआई ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया है। कोल सैंपलिंग घोटाले में सिंफर (केंद्रीय खनिज एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ एके सिंह के ठिकानों पर सीबीआई की टीम ने शुक्रवार को छापेमारी की। पीके सिंह के धैया के सुंदरम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 602 में पहुंची। सीबीआई को फ्लैट में ताला लगा मिला। सीबीआई ने फ्लैट को सील कर दिया। सीबीआई की ओर से डॉ पीके सिंह के उत्तर प्रदेश छाता बांसडीह रोड बलिया के अलावा बिहार के एक ठिकाने पर भी छापेमारी की सूचना है। वहीं डॉ एके सिंह के डिगवाडीह सिंफर कॉलोनी क्वार्टर टाइप 4/4 तथा यूपी के जौनपुर चांदी गहना सरायख्वाजा स्थित घर की तलाशी ली। सीबीआई ने दोनों वैज्ञानिकों के ठिकानों से निवेश के दस्तावेज जब्त किए हैं। कागजात के आधार पर निवेश का आकलन किया जा रहा है। दोनों के मूल निवास पर देर शाम तक सीबीआई की टीम छानबीन कर रही थी ।
छापे को लेकर सीबीआई की ओर से आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया गया है। एके सिंह से सीबीआई के अफसरों ने डिगवाडीह में घंटों पूछताछ की है और लैपटॉप जब्त कर लिया है। सीबीआई ने डॉ पीके सिंह के तीन ठिकानों और डॉ एके सिंह के दो ठिकानों पर शुक्रवार की सुबह एक साथ छापेमारी शुरू की। कोल सैंपलिंग घोटाले में सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह और मुख्य वैज्ञानिक डॉ एके सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया है। वैसे जांच के बाद उक्त मामले में कई चेहरे बेनकाब होंगे। कोल सैंपलिंग से करोड़ों की कमाई को रेवड़ी की तरह आपस में बांटा गया। सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप है कि वर्ष 2016 से 28 मार्च 2021 के बीच कोल सैंपलिंग प्रोजेक्ट में नियमों को ताक पर रख कर सिंफर के वैज्ञानिकों, टेक्निकल ऑफिसर, टेक्निकल असिस्टेंट और प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों को 139 करोड़ 79 लाख 97 हजार 871 रुपए का भुगतान किया गया।
इसमें से डॉ पीके सिंह ने मानदेय के रूप में 15 करोड़ 36 लाख 72 हजार रुपए व डॉ एके सिंह ने 9 करोड़ से अधिक लिए। शिकायत के बाद वर्ष 2021 से ही इस घोटाले की जांच चल रही है। अब कार्रवाई शुरू हुई है। दर्ज मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पीके सिंह और एके सिंह ने एक साजिश रची, जिसके तहत सिंफर के वैज्ञानिकों, तकनीकी और प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों को 2016 और 2021 के बीच मानदेय, बौद्धिक शुल्क और परियोजना शुल्क के रूप में 137.79 करोड़ रुपए का वितरण किया गया।
सीबीआई कार्रवाई से सिंफर में भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितता का मामला सुर्खियों में है। फिलहाल कोल सैंपलिंग की कमाई की बंदरबांट की जांच चल रही है। वैसे नॉलेज पार्टनर, तकनीक हस्तांतरण सहित अन्य प्रोजेक्ट से सिंफर को हुई कमाई को ऑनरेरियम के रूप में भी बंदरबांट हुई है। इसकी भी जांच कई स्तरों पर की जा रही है। ऑनरेरियम मामले में पैसा लेने वाले सिंफर के वैज्ञानिकों एवं अन्य कर्मियों के वेतन से वसूली भी हो रही है। अंदरखाने सूत्रों ने बताया कि कोल सैंपलिंग में साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की भी सीबीआई टीम जांच कर रही है। इसी सिलसिले में कंप्यूटर व हार्डडिस्क को भी खंगाला गया है। 2016 से सिंफर कोल सैपलिंग का काम कर रही है। तभी से गड़बड़ी की जांच चल रही हैं।
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