Chandil: चांडिल बांध बहुउद्येशीय परियोजना में 84 मौजा के 116 गांवो को बांध निर्माण करने के लिए तत्कालीन बिहार सरकार ने विस्थापित घोषित किए थे। विस्थापितो को जमीन के एवज में हर तरह सुख सुविधा, शिक्षा सहित नियोजन को लेकर सरकार के द्वारा नियमावली बनाए गए थे। परंतु अबतक विस्थापितो को अपना हक और अधिकार नहीं मिल पाया है। लगातार चुनावी माहौल के समय विस्थापित अपने मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन कर अपने हक और अधिकार मांगने को बेवस नजर आते है, लगातार इन्हे इनके मांगो पर आश्वासन देकर कार्यालय के अधिकारी धरना प्रदर्शन को समाप्त कर देते हैं, लेकिन विस्थापितो के हाथ कुछ नहीं आया। झारखंड विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में विस्थापितो को मुद्दा बनाकर राज गद्दी पर बैठने वाला इनके सुध लेने भी नहीं पहुंचते है। विस्थापीतो के लिए सरकार के बड़े बड़े बायदे भी फेल है, कई दशक बीतने के बाद भी न्याय नहीं मिला।
धरना प्रदर्शनकारियो का आरोप ये भी हे कार्यालय के परिसर में नशीली पदार्थ के सेवन कार्यालय में बैठकर किया जाता ,कर्यालय परिषर में बहुत सारे अवशिष्ट भी देखने को मिला।

विस्थापित राकेश कुमार महतो ने बताया इस कार्यालय में 116 गांवो के विस्थापित परिवार के बच्चो का भविष्य बसता है लेकिन यहां के अधिकारी लोग अपने कर्तव्य को छोड़कर कार्यालय में बैठकर दारू,गंजा लेकर मजे करते हैं जिसका सबूत सभी को देखने को मिला हे।
विस्थापित अनूप महतो ने बताया कार्यालय के एक कर्मचारी दारा मंडल ने न जाने कितने परिवारों का अधिकार छीना हे, इसका सबूत दारा मंडल के कार्यालय के मास्टर पंजी को जांचने से पूरी प्रकरण मिलेंगे। जबतक उनके ऊपर करवाई नहीं होता तबतक विस्थापित परिवार कार्यालय को जाम करके रखेंगे।
मौके पर हजारों विस्थापित परिवारों के सदस्य उपस्थित थे।
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