सरायकेला: झारखंड के पूर्व सीएम एवं राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री चंपई सोरेन पर भगवा रंग चढ़ने से उनके करीबी रहे जेएमएम नेता में असमंजस की स्थिति है. उनके पास दो विकल्प है या तो भाजपा में जाने का या झारखंड मुक्ति मोर्चा में बने रहने का लेकिन इन सब के बीच सबको यह बात खटक रही है कि चंपई सोरेन का टैग होना उन्हें पार्टी में अलग-अलग ना कर दे, ऐसे में उनके करीबी भी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति बने हुए हैं. इस बीच जेएमएम नेताओं और कार्यकर्ताओं को लेकर सोशल मीडिया पर इधर-उधर जहां मेम ट्रेंड करने लगा इसमें अधिकतर नेता अप्रत्यक्ष रूप से अभी यह जता रहे हैं कि अभी तो वह इधर ही है यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा में ही है लेकिन आगे देखेंगे कि किधर जाएंगे.
चंपई सोरेन के भाजपा में जाने से पूरे कोल्हान का सियासी समीकरण बदलेगा सरायकेला सीट का राजनीतिक गणित सबसे अधिक प्रभावित होने जा रहा है. इस विधानसभा सीट से चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहते हुए चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि जीत कुछ बड़े अंतरों से नहीं हो पाई लेकिन भाजपा के गणेश महाली को दो बार विधानसभा चुनाव में मात दी, वर्ष 2014 के चुनाव में चंपई ने 1115 वोटो से गणेश महाली को हराया था. वर्ष 2019 के चुनाव में अंतर बड़ा था लेकिन इतना नहीं की जीत आसान कहा जा सके इस चुनाव में चंपई ने 15660 वोटों से गणेश महाली को हराया था. अब चंपई के बीजेपी में जाने से यह परिस्थितियां बदल जाएगी इससे कहा जा सकता है कि अपने राजनीतिक जीवन में चंपई ने जिन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रचार किया और चुनाव में हराया उन्हें ही अपनी राजनीतिक गाड़ी बढ़ाने को सारथी बनाना होगा इनमें गणेश महाली से लेकर लक्ष्मण टुडू जैसे नाम शामिल होंगे.