Kenduadih Gas Crisis: केंदुआडीह गैस प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने इस संकट को बेहद गंभीर बताते हुए बीसीसीएल प्रबंधन और डीजीएमएस को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान उन्होंने प्रभावित इलाकों में पहुंचकर स्थानीय निवासियों से बातचीत की, उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना और राहत शिविर का निरीक्षण कर वहां रह रहे लोगों की स्थिति की जानकारी ली। दौरे के बाद धनबाद स्थित सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से अपनी बात रखी।
सरयू राय ने कहा कि केंदुआडीह में गैस रिसाव के कारण आम लोगों के सामने जीवन और सुरक्षा का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीसीसीएल और डीजीएमएस गैस निकासी और सुरक्षा के लिए न तो समय पर कदम उठा रहे हैं और न ही कोई ठोस व प्रभावी व्यवस्था लागू कर पा रहे हैं, जिससे स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई।
विधायक ने बताया कि वर्ष 1914 से इस क्षेत्र में खनन कार्य होता आ रहा है। खनन नियमों के अनुसार भूमिगत खनन के बाद खाली हिस्सों में बालू भरना अनिवार्य होता है, लेकिन बीसीसीएल ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इसके बजाय केवल खदान के मुहानों पर दीवारें खड़ी कर दी गईं, जिससे समय के साथ गैस का दबाव बढ़ता गया और अब वह जमीन को फाड़ते हुए बाहर निकल रही है। हवा के संपर्क में आने के बाद यह गैस लोगों के लिए जानलेवा खतरा बन चुकी है।
सरयू राय ने आरोप लगाया कि जिन दीवारों के जरिए खदानों को बंद किया गया था, उन्हें तोड़कर अवैध खनन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने के लिए बीसीसीएल की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है। साथ ही, खनन क्षेत्रों में सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाली डीजीएमएस की भूमिका को उन्होंने बेहद लापरवाह और खतरनाक बताया।
विधायक ने कहा कि गैस रिसाव के बाद प्रभावित लोगों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की बातें तो की जा रही हैं, लेकिन वहां न तो रोजगार की कोई ठोस व्यवस्था है और न ही बुनियादी सुविधाएं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बीसीसीएल और डीजीएमएस के गलत फैसलों और कथित भ्रष्टाचार की कीमत आज केंदुआडीह के निर्दोष लोग चुका रहे हैं।
सरयू राय ने भरोसा दिलाया कि वह इस गंभीर मुद्दे को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि बीसीसीएल और डीजीएमएस भारत सरकार के उपक्रम हैं और केंद्र सरकार ने पुनर्वास के लिए लगभग 9 हजार करोड़ रुपये का फंड भी उपलब्ध कराया है, साथ ही आग बुझाने के प्रयास किए गए हैं। ऐसे में मौजूदा हालात पर भी केंद्र सरकार को तत्काल और गंभीर हस्तक्षेप करना चाहिए।


