Jharkhand DGP:झारखंड राज्य इन दिनों गंभीर प्रशासनिक संकट से गुजर रहा है। देश का यह पहला राज्य बन गया है, जहां बिना केंद्र सरकार की अनुमति के एक अधिकारी डीजीपी के पद पर बना हुआ है। अनुराग गुप्ता, जिन पर कोयला चोरी से लेकर ईडी के गवाहों को डराने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं, फिलहाल राज्य पुलिस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को ही उन्हें हटाने का आदेश दे दिया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके सेवा विस्तार को असंवैधानिक बताते हुए उन्हें डीजीपी पद से हटाने का निर्देश दिया, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार उन्हें पद से हटाने को तैयार नहीं है। राज्य में ईडी की सक्रिय जांच और लगातार हो रहे छापों के बीच यह सवाल उठता है कि आखिर एक ऐसे अधिकारी को क्यों बचाया जा रहा है, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं?

यह भी गौर करने वाली बात है कि अनुराग गुप्ता को पूर्व में हेमंत सोरेन सरकार ने 26 महीने तक निलंबित रखा था। लेकिन अब वही सरकार उन्हें न सिर्फ बहाल कर चुकी है, बल्कि डीजीपी जैसे अहम पद पर भी बनाए हुए है। यह राजनीतिक गठजोड़ और आपराधिक संरक्षण का संकेत माना जा रहा है।सूत्रों के अनुसार, राज्य में कोयला तस्करी और अवैध वसूली एक संगठित नेटवर्क के तहत चल रही है, जिसकी कमान कथित रूप से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हाथों में है।
कोयला तस्करी से होने वाली भारी कमाई की एक बड़ी हिस्सेदारी कथित रूप से राजनीतिक नेतृत्व तक पहुँचाई जा रही है।राज्य में कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति, अपराधियों के बढ़ते मनोबल और ईडी के गवाहों पर दबाव के बीच यह सवाल अब आम जनता के बीच भी उठने लगा है कि क्या झारखंड में लोकतंत्र और विधि का शासन बचा रह गया है?