
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व में बदलाव कर सकती है। प्रदेश में झामुमो का नेतृत्व जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं, वहीं भाजपा ने प्रदेश संगठन की कमान बाबूलाल मरांडी को सौंपी है। ऐसे में कांग्रेस इन्हीं नेताओं के कद के कांग्रेस के किसी बड़े नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है।
पिछले कुछ समय से झारखंड कांग्रेस में भी घमासान है। पार्टी का एक धड़ा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राजेश ठाकुर को पसंद नहीं करता। हालात ऐसे हैं कि ये धड़ा राजेश ठाकुर पर बीजेपी के लिए काम करने तक का आरोप लगा चुका है। इनमें आलोक दुबे, राजेश कुमार छोटू और लालकिशोरनाथ शाहदेव जैसे नाम उल्लेखनीय हैं। झारखंड कांग्रेस की अनुशासन समिति इन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित भी कर चुकी है। दूसरी ओर 3 विधायक कैश कांड मामले में निलंबित हैं। इसके अलावा हाल में पार्टी ने रामगढ़ सीट भी गंवाया है।
कांग्रेस आलाकमान अगर आदिवासी नेता को ही अंतिम रूप से प्रदेश की कमान सौंपती है, तो इसमें पार्टी के उपाध्यक्ष कालीचरण मुंडा को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिल सकती है। आदिवासी नेता रूप में वे पुराने कांग्रेसी हैं। वे रांची जिला ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की भी आलाकमान के समक्ष अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार पर भी कांग्रेस दांव खेल सकती है। अगर उन्हें केंद्र में जवाबदेही मिली तो किसी दूसरे के नाम पर आलाकमान विचार करेगा। ऐसे में सुबोधकांत सहाय का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए केंद्र की पहली पसंद हो सकती है। उनका कद राष्ट्रीय स्तर के नेता का है। 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने झामुमो- राजद के साथ मिल कर लड़ा था। आनेवाले चुनाव में भी इसकी पूरी संभावना है कि दोनों दल मिलकर लड़ेंगे। महागठबंधन (झामुमो-कांग्रेस- राजद) की ओर से आदिवासी नेता के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेतृत्वकर्ता के रूप में रहेंगे। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय को प्रदेश की कमान सौंप कर भाजपा के वोट में सेंधमारी करा सकती है