
बाबूलाल मरांडी 1994 में वनांचल भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए थे। झारखंड बनने के पहले उन्होंने लगातार पांच साल तक वनांचल भाजपा का नेतृत्व किया। इसी बीच 1998 में झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन को दुमका में हराकर लोकसभा पहुंचे। अटल जी की सरकार में वन-पर्यावरण राज्य मंत्री का दायित्व निभाया। फिर 1999 में झामुमो की रूपी सोरेन को लोकसभा चुनाव में हराकर लोकसभा पहुंचे और दोबारा अटली जी की सरकार में केंद्रीय वन पर्यावरण राज्य मंत्री बने । झारखंड राज्य बनने के बाद बाबूलाल मरांडी को पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल है। 2001 में वह रामगढ़ विधानसभा से चुनकर झारखंड विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे।
बाबूलाल मरांडी 2006 में भाजपा से अलग होकर झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) राजनीतिक दल का गठन किया। उनके साथ भाजपा के कई विधायक और नेता भी चले गये। कुछ लंबे समय तक साथ चले और कई लौट गये। 2020 तक वह अपने दल को लेकर सूबे में चुनावी राजनीति करते रहे। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़े। 2009 में विधानसभा की अधिकतम सीटें जीतीं। स्वयं लोकसभा से सांसद चुने गये। भाजपा में रहकर 2004 में सांसद बने। फिर झारखंड विकास मोर्चा से 2006, 2009 और 2014 में सांसद बने ।
2020 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में रांची की बड़ी सभा में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का भाजपा में विलय कर लिया। भाजपा ने उन्हें झारखंड विधानसभा में विधायक दल का नेता चुना। नेता प्रतिपक्ष के लिए पार्टी नेतृत्व ने विधानसभा अध्यक्ष को दिया, लेकिन अध्यक्ष से इसकी मान्यता नहीं मिली। उनकी सदस्यता को लेकर न्यायाधिकरण में दल-बदल का मामला चल रहा है।
झारखंड की राजनीति में एक बड़े बदलाव ने राजनीतिक सरगर्मी की तपिश और बढ़ा दी है। भाजपा ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़ा सांगठनिक फेरबदल किया है। 29 साल के बाद एक बार फिर संताल आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को पार्टी ने भाजपा प्रदेश संगठन की कमान सौंपकर बड़ा दांव खेला है। संघ, विहिप और भाजपा संगठन के तपे-तपाए कार्यकर्ता से नेता बने बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी नेतृत्व ने साफ संदेश दे दिया है कि आने वाला लोकसभा और विधानसभा चुनाव भाजपा पूरी शिद्दत के साथ लड़ने की तैयारी में है।
पिछले चुनाव में लोकसभा की 14 में 2 सीटें राजमहल और चाईबासा खोकर भाजपा ने इस बार इसे चुनौती के रूप में लिया है। बाबूलाल मरांडी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दीक्षित हैं। विहिप जैसे संगठन में रहकर संतालपरगना के चप्पे-चप्पे पर काम किया है। वनांचल भाजपा की कमान मिली तो पूरे प्रदेश की हर पंचायत से लेकर प्रखंड और जिले का दौरा किया। भाजपा के पहले नेता रहे, जिन्हें हर कार्यकर्ता अपने घर का सदस्य मानता रहा है। कार्यकर्ताओं को संगठन की रीढ़ समझने वाले बाबूलाल मरांडी उनके बीच सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं।
गिरिडीह के कोदाईबांक में एक जनजातीय परिवार में जन्मे बाबूलाल मरांडी ने स्नातक तक पढ़ाई पूरी करने के बाद देवरी प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए । विद्यार्थी जीवन में ही ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ गये। संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक बाबूलाल ने 1984 में विश्व हिन्दू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम आरंभ किया। उन्हें संगठन ने 1989 में संताल परगना के शिला पूजन के प्रमुख बनाया। 1990 में भाजपा संताल परगना के संगठन मंत्री बनाए गए। फिर 1994 में वनांचल भाजपा के अध्यक्ष बने