Tatanagar railway station: जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार देर रात उस समय हड़कंप मच गया, जब साउथ बिहार एक्सप्रेस से खरसावां जिले के आमदा इलाके से आ रही 17 नाबालिग बच्चियों और तीन नाबालिग लड़कों को रेलवे पुलिस ने रेस्क्यू किया। सभी बच्चों के साथ एक सिस्टर और एक फादर मौजूद थे।
प्रशिक्षण के नाम पर लाए जा रहे थे बच्चे
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इन सभी बच्चों को जमशेदपुर के करनडीह इलाके में कथित प्रशिक्षण कार्यक्रम के बहाने लाया जा रहा था। स्टेशन पर मौजूद कुछ यात्रियों और स्थानीय लोगों को बच्चों की स्थिति संदिग्ध लगी। शक होने पर उन्होंने तत्काल रेल पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सूचना दी।
चाइल्ड केयर को सौंपे गए बच्चे
रेल पुलिस ने सभी 20 नाबालिग बच्चों को चाइल्ड केयर की देखरेख में भेज दिया। वहीं, बच्चों के साथ आए फादर और सिस्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अजय गुप्ता ने बताया कि पूछताछ के दौरान वे पुख्ता दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। प्रथम दृष्टि में यह मामला धर्मांतरण से जुड़ा प्रतीत हो रहा है।
हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति
घटना की जानकारी मिलने पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी स्टेशन पहुंचे। विश्व हिंदू परिषद के नेता अरुण सिंह ने आरोप लगाया कि जीवन जीने की ट्रेनिंग के नाम पर भोले-भाले आदिवासी बच्चों को धर्मांतरण की योजना के तहत लाया जा रहा था। उन्होंने जीआरपी से पूरे मामले की विस्तृत जांच करने और बच्चों के माता-पिता को बुलाकर सच्चाई सामने लाने की मांग की।
पुलिस जांच जारी
फिलहाल पुलिस ने फादर और सिस्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पूरे मामले की जांच में जुटी पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बच्चों के परिजनों से भी संपर्क कर रही है, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट की जा सके।