Ranchi Loan Trap: रांची के करमटोली अन्नपूर्णा चौक में बुधवार को एक तेज़ झटके की आवाज़ आई जब रामगढ़ निवासी जय गोस्वामी, जो निजी लगेज कंपनी में काम करते थे एवं किराए के लॉज में रहते थे, ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कमरे से मिले तीन पन्नों के सुसाइड नोट से पता चला कि उन्होंने मोबाइल ऐप के माध्यम से दो लाख रुपये का लोन लिया था और उसे समय पर चुका दिया, परन्तु रिकवरी एजेंटों की लगातार धमकियों, व्हाट्सएप कॉल और मैसेजों की वजह से उनका मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह ध्वस्त हो गया
“मैं अच्छा बेटा नहीं बन सका” — टूटे आत्मा की पुकार
सुसाइड नोट में जय ने आत्मग्लानि व्यक्त करते हुए लिखा, “मैं अच्छा बेटा नहीं बन सका।” यह वाक्य उनके भीतर चलती मानसिक पीड़ा का प्रत्यक्ष संकेत है। पुलिस के अनुसार, उन्हें जेल भेजने और परिवार की बेइज्जती करने की धमकियां दी गईं, जिन्होंने उनके आत्मसम्मान को बेहद चोट पहुंचाई।

पोस्टमार्टम के बाद आगे की कार्रवाई
पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराना सुनिश्चित किया और जय के परिजनों के सुपुर्द कर दिया। मामले में दो मोबाइल धारकों के खिलाफ केस दर्ज कर न्यायिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जांच एजेंटों द्वारा भेजे गए कॉल तथा मैसेज की ट्रेसिंग की जा रही है।

देशव्यापी समस्या बन चुके मौके लोन ऐप्स
रांची की यह घटना अकेली नहीं है — देश भर में इंस्टेंट लोन ऐप्स और रिकवरी एजेंट्स की धमकियों और ब्लैकमेलिंग के कारण कई आत्महत्या की घटनाएं हुई हैं। उदाहरण के तौर पर पुणे में एक रिकवरी एजेंट को नकली ऐप्स और ब्लैकमेलिंग स्कैम में गिरफ्तार किया गया था, जो राष्ट्रीय जांच को जन्म दे रहा है ।
क्या करने की जरूरत है?
• गंभीर जांच ज़रूरी — रिकवरी एजेंट्स, कॉल, मैसेज और ऐप की जांच साइबर अपराध शाखा द्वारा करवाई जानी चाहिए।
• जागरूकता अभियान — ‘जीरो-कॉस्ट EMI’ जैसी धोखेबाज़ स्कीमों के खतरों से जनता को आगाह किया जाए।
• मानसिक स्वास्थ्य सहायता — संकट के समय जेरेज़र हेल्पलाइन और काउंसलिंग सर्विसेस तक आसान पहुँच होनी चाहिए।