Sakchi Gurudwara Kirtan: सावन महीने की शुरुआत पर बुधवार को साकची स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब में संग्रांद पर्व को भक्तिभाव से मनाया गया। “सावन सरसी कामणी, चरन कमल सिउ पिआर, मन तन रता सच रंग इको नाम अधार” जैसे गुरबाणी शब्दों की गूंज के साथ संगत ने श्रावण माह का स्वागत किया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा आयोजित इस विशेष कीर्तन दरबार में श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति देखने को मिली।

कीर्तन और अरदास ने बांधा आध्यात्मिक वातावरण
हजूरी रागी जत्था भाई नारायण सिंह ने गुरबाणी कीर्तन के माध्यम से संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्ति संगीत के स्वर जब गुरुद्वारा साहिब के दीवान हाल में गूंजे, तो पूरा वातावरण श्रद्धा से भर उठा। इसके पश्चात गुरुद्वारा के ग्रंथी और कथावाचक भाई अमृतपाल सिंह ने संगत को गुरमत विचार सुनाते हुए संग्रांद के ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।
भोग और अटूट लंगर के साथ हुआ समापन
कीर्तन दरबार की समाप्ति पर सरबत के भले और सिख कौम की चढ़दीकला के लिए सामूहिक अरदास की गई। इसके बाद संगत को ‘गुरु का अटूट लंगर’ वितरित किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
गुरुद्वारा विकास की ओर अग्रसर‚ प्रधान ने जताया आभार
गुरुद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह ने संग्रांद के शुभ अवसर पर कहा कि संगत के सहयोग से गुरुद्वारा साहिब में कई विकास कार्य पूरे हो चुके हैं और आगे भी संगत से सुझाव लेकर और प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह सेवा भावना ही सिख धर्म की आत्मा है।
सेवा में जुटे दर्जनों सिख सेवक और संस्थाएं
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सभी सदस्यों की अहम भूमिका रही। प्रमुख रूप से सरदार शमशेर सिंह सोनी, खजान सिंह, सतनाम सिंह घुम्मण, जसवीर सिंह गांधी, सुखविंदर सिंह निक्कू, सुरजीत सिंह छीते, बलबीर सिंह धंजल, दलजीत सिंह, अमरपाल सिंह, नानक सिंह और अन्य सदस्यों ने समर्पित सेवा की। सिख स्त्री सत्संग सभा एवं सुखमणि साहिब जत्था की बीबियों ने विशेष सेवाएं दीं।
कार्यक्रम का मंच संचालन सरदार सुरजीत सिंह छीते ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सुखविंदर सिंह निक्कू ने दिया।